सहकारी बैंक
परिचय :-
सहकारी- दो शब्दों सह और कारी से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है :- "साथ मिलकर कार्य करना या मिलजुलकर कार्य करना |
भारत जैसे बड़े तथा विकासशील देश में देश तथा सामाजिक विकास हेतु ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास होना बहुत जरूरी था, क्योकि भारत की अधिकतर जनसँख्या ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करती है | इसलिए कुछ ग्रामीण लोगों का संगठन बना दिया गया और लोगों को सिमित रूप से धन को जमा करने तथा ऋण देने का काम सौपा गया | ये कार्य करने के लिए व्यक्तियों का समूह होता था जिसे समिति के नाम से जाना जाता था | कुछ इस प्रकार भारत में सहकारी उदभव हुआ |
परिभाषा :-
" सहकारी बैंक वे बैंक हैं, जो लोगो में आपसी ताल-मेल से सामाजिक तथा आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संचालित किये जाते हैं | "
सहकारी बैंक की विशेषताएँ :-
1. आपसी समन्वय का विकास |
2. समान अधिकार का होना |
3. आत्म-निर्भरता का विकास |
4. देश का आर्थिक विकास |
5. लाभ की भावना का न होना |
6. ऐक्षिक संगठन |
भारत में सहकारी बैंक :-
"सहकारी बैंक वे संस्थान हैं, जो सहकारिता के सिद्धांत पर कार्य करते हैं | "
भारत में प्रथम सहकारी बैंक 1904 में सहकारी ऋण समिति अधिनियम के द्वारा हुई | भारत में सहकारी बैंक सामान्य बैंकिंग कार्य भी करते हैं |
निष्कर्ष :- भारत में सहकारी बैंकों ने लोगों में सहकारिता की भावना को एक नया आयाम दिया | जिससे छोटी-छोटी समितियों तथा संगठनों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया |
नोट :- इस लेख के द्वारा सहकारी बैंकों के विभिन्न पहलुओं को समझानें का भरपूर प्रयास किया गया है | हमें पूरा विश्वास है कि यह लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक सिद्ध होगा |
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