4. धनराशि, निश्चित व्यक्ति या फिर उसके द्वारा आदेशित (कहे गए ) व्यक्ति को दिया जाता है |
5. या फिर , यह वाहक (जो इसको वहन करता है ) को दिया जाता है |
विनिमय -विपत्र की परिभाषा :-
विनिमय - साध्य अभिलेख की धारा 5 के अनुसार :-
"विनिमय-विपत्र एक शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र है, जिस पर लेखक के हस्ताक्षर होते हैं | जिसमें एक निश्चित व्यक्ति को यह आदेश होता है, कि वह किसी अन्य व्यक्ति को अथवा उसके आदेशित अथवा पत्र के वाहक को एक निश्चित धनराशि का भुगतान कर दिया जाए |"
विनिमय-विपत्र के पक्ष :-
विनिमय-विपत्र के निम्न पक्ष होते हैं -
1. लेखक :- लेखक वह व्यक्ति होता है, जिसके द्वारा विनिमय-विपत्र लिखा जाता है तथा भुगतान किया जाता है | विनिमय-विपत्र पर लेखक का ही हस्ताक्षर होता है तथा यही व्यक्ति ऋणदाता भी होता है |
2. देनदार :- देनदार वह व्यक्ति या संस्था है, जिसके द्वारा लेखक के आदेश पर प्राप्तकर्ता को विनिमय-विपत्र में लिखित धनराशि दिया जाता है | साधारणतः यह बैंक ही होता है |
3. भुगतान प्राप्तकर्ता :- भुगतान प्राप्तकर्ता वह व्यक्ति होता है, जिसको विनिमय - विपत्र में लिखित धनराशि प्राप्त होता है |
विनिमय-विपत्र की विशेषताएँ :-
1. यह लिखित होता है |
2. यह शर्तरहित होता है |
3. इसमें लेखक का हस्ताक्षर होता है |
4. लेखक एक निश्चित व्यक्ति होता है |
5. देनदार एक निश्चित व्यक्ति होता है |
6. प्राप्तकर्ता एक निश्चित व्यक्ति होता है |
7. इसमें लिखित धनराशि निश्चित होती है |
8. इसमें लिखित धनराशि प्राप्तकर्ता को दिया जाता है |
9. इसमें मुद्रांकन या स्टाम्प लगा होता है |
10. इसमें लिखित धनराशि आदेश पर देय होता है |
विनिमय-विपत्र के प्रकार :-
विनिमय-विपत्र को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है -
1. अवधि के अनुसार :-
👉माँग या दर्शनी बिल :- ऐसे विनिमय-विपत्र का भुगतान, भुगतान प्राप्त करने वाले को विपत्र प्रस्तुत करने पर तुरंत दे दिया जाता है |
👉मुद्दती बिल :- ऐसे बिल में भुगतान करनें का समय लिखा होता है तथा स्वीकृति मिलने पर भुगतान कर दिया जाता है | इस बिल की ख़ास बात यह है,कि इस बिल में लिखित धनराशि के अनुसार टिकट लगाना भी जरुरी होता है |
2. स्थान के अनुसार :-
👉देशी बिल :- जब कभी विनिमय -विपत्र एक देश के ही किसी व्यक्ति के द्वारा उसी देश के ही किसी नया व्यक्ति को लिखा जाता है, तो वह विनिमय-विपत्र, देशी-विनिमय विपत्र या देशी बिल कहलाता है |
👉 विदेशी बिल :- विदेशी बिल, देशी बिल के विपरीत होता है | अर्थात - जब कभी विनिमय-विपत्र एक देश के किसी व्यक्ति के द्वारा दूसरे देश के किसी व्यक्ति को लिखा जाता है, तो उसे विदेशी-विनिमय विपत्र या विदेशी बिल कहा जाता है |
3. प्रयोग के आधार पर :-
👉 व्यापारिक बिल :-जब कभी किसी व्यापारी द्वारा किसी अन्य व्यापारी या व्यक्ति को उधार माल बेचा जाता है, तो यह बिल लिखा जाता है |
👉अनुग्रह-बिल :- यह बिल हमेशा पारस्परिक समबन्धों को बनाए रखने के लिए लिखे जाते हैं | जब एक व्यापारी दूसरे व्यापारी को माल बेचता है, तो उसकी अनुशंसा पर को बिल लिखता है उसे अनुग्रह बिल कहते है | जिसे दूसरा व्यापारी स्वीकार करके वापस लौटा देता है |
निष्कर्ष :- विनिमय-विपत्र एक शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र है | आधुनिक समय में भी यह विपत्र व्यापारिक-जगत में खूब प्रचलन में है | इस विपत्र के प्रयोग से व्यापारिक क्रियाकलाप सरल हो जाते हैं |
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