प्रतिज्ञा-पत्र , साख-पत्र का ही एक रूप है, जो लिखित एवं शर्तरहित होता है तथा जिसमे एक निश्चित धनराशि देने का वचन दिया जाता है | इसमें लेखक अपना हस्ताक्षर करता है | यह अग्रिम नुकसान से बचने के लिए उपयोग में लाया जाता है |
परिभाषा :-
विनिमय - साध्य अभिलेख की धारा 4 के अनुसार :- "प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित, शर्तरहित साख-पत्र है, जिसमे पत्र लिखनें वाला एक निश्चित व्यक्ति को एक निश्चित धनराशि प्रतिज्ञा -पत्र के वाहक को देने की प्रतिज्ञा करता है | "
विशेषताएँ :-
प्रतिज्ञा-पत्र की निम्न विशेषताएँ हैं -
1. यह एक लिखित साख-पत्र है |
2. यह एक शर्तरहित साख-पत्र है |
3. प्रतिज्ञा-पत्र में लेखक का हस्ताक्षर होता है |
4. प्रतिज्ञा-पत्र में एक निश्चित धनराशि एक निश्चित व्यक्ति को या फिर प्रतिज्ञा पत्र के वाहक को देने की प्रतिज्ञा लेखक के द्वारा किया जाता है |
5. प्रतिज्ञा-पत्र को वचन-पत्र भी कहते हैं |
6. स्टाम्प लगा होता है |
7. दोनों पक्षों में निश्चितता होती है |
8. यह बैंक नोट से भिन्न होता है |
9. यह वाहक या फिर उसके आदेश पर देय होता है |
प्रतिज्ञा-पत्र के पक्षकार :-
प्रतिज्ञा-पत्र के निम्नलिखित दो पक्षकार होते हैं -
1. लेखक :- लेखक वह व्यक्ति है, जो प्रतिज्ञा-पत्र को लिखने का कार्य करता है और अपना हस्ताक्षर करता है | इसी के दवारा लिखित धनराशि का भुगतान भी किया जाता है |
2. भुगतान प्राप्तकर्ता :- भुगतान प्राप्तकर्ता वह व्यक्ति है, जो भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी होता है |
प्रतिज्ञा-पत्र के प्रकार :-
प्रतिज्ञा -पत्र निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
1. व्यक्तिगत प्रतिज्ञा-पत्र :- यह एक ऐसा प्रतिज्ञा-पत्र है, जो व्यक्तिगत रूप से आपसी लेंन-देन के समय लिखा जाता है | जिससे अग्रिम समय में आपसी मतभेद न हो | जैसे -मित्र तथा रिश्तेदारों के लेन -देन के समय लिखा गया प्रतिज्ञा-पत्र |
2. व्यापारिक प्रतिज्ञा-पत्र :- यह एक ऐसा साख-पत्र है, जो व्यापारियों, व्यापारिक बैंकों तथा फार्मों द्वारा लिखा है | व्यापारिक प्रतिज्ञा-पत्र की स्थिति में जब ऋण लेने वाला ऋण देनें में विफल हो जाता है, तो दूसरे पक्ष को उस प्रतिज्ञा-पत्र में लिखित पूरी धनराशि लेनें का अधिकार होता है | इसमें कभी-कभी ऋण देनें वाला लेनदार की संपत्ति अधिग्रहण कर लेता है |
3. रियल-एस्टेट प्रतिज्ञा-पत्र :- यह प्रतिज्ञा-पत्र बिल्डरों तथा घर खरीददारों के मध्य तैयार किया जाता है, जिसके अंतर्गत भुगतान न होने पर प्रतिज्ञा-पत्र को भुना लिया जाता है |
निष्कर्ष :- प्रतिज्ञा-पत्र का उपयोग अग्रिम आर्थिक नुकसान से बचनें का एक सुलभ साधन है, जिससे लेनदार के द्वारा धन देनें से करनें पर प्रमाण या साक्ष्य के रूप में न्यायलय में पेश किया जा सकता है तथा धन वापस लिया जा सकता है |
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