समाशोधन-गृह            

परिचय :-

समाशोधन-गृह की आवश्यकता का अनुभव विभिन्न बैंकों की बढ़ती शाखाओं तथा उन बैंकों में अधिक मात्रा में साख-पत्रों के प्रयोग से हुआ | वस्तुतः बैंको में तीन विधियों से लेन-देन किया जाता है | 

1. बैंक-काउंटर से निकासी तथा जमा-पत्र  के द्वारा 

2. चेक के द्वारा (साख-पत्र )

3. मोबाइल तथा इंटरनेट बैंकिंग के द्वारा | 

जब बैंक काउंटर के द्वारा वित्तीय लेन-देन  होता है, तो नकद धनराशि का आदान-प्रदान प्रत्यक्ष रूप से हो जाता है , परन्तु चेक तथा मोबाइल बैंकिंग के दवारा वित्तीय लेन-देन के समय कई बार एक बैंक से दूसरे बैंक में धनराशि भेजी जाती है या फिर निकाली जाती है | जहाँ दो अलग-अलग बैंको की अलग-अलग शाखाओं में सम्बन्ध  करनें तथा वित्तीय क्रियाकलाप को पूरा करने हेतु समाशोधन गृह की आवश्यकता होती है | समाशोधन -गृह इन दोनों बैंकों के बीच मध्यस्थता का कार्य करते हैं, जिससे वित्तीय लेन -देन एक बैंक से दूसरे बैंक में त्वरित एवं बहुत ही सहज तरीके से हो जाता है | वर्तमान समय में ATM मशीन से पैसा निकालते समय भी ठीक ऐसा ही होता है | 

उदहारण :- मान लीजिये मेरे पास HDFC बैंक का डेबिट कार्ड है और मुझे अपने खाते से 1000 रूपए निकालने हैं | मुझे HDFC बैंक का ATM मशीन नहीं मिला तो मैं PNB के ATM मशीन पर गया और वहां से पैसे निकाल लिए | अब HDFC और PNB के बीच धन का लेन-देन जो हुआ उसे समाशोधन गृह कार्य कहते हैं , तथा इन दोनों के मध्य मध्यस्थता स्थापित करने वाले बैंक या संस्था को समाशोधन -गृह कहते हैं | 

परिभाषा :-

"समाशोधन-गृह" वे बैंक या वे वित्तीय संस्थाएँ हैं, जो दो या दो से अधिक बैंको  किये जा रहे वित्तीय लेन-देनों को सफल बनाने में मध्यस्थता का कार्य करते हैं  |"

भारत में रिज़र्व-बैंक तथा स्टेट बैंक दोनों समाशोधन गृह का कार्य करते हैं | 

समाशोधन-गृह के लाभ :- 

समाशोधन -गृहों के निम्न लाभ हैं | 

1. साख-पत्रों के उपयोग में वृद्धि | 

2. बैंकों के व्यय में कमी |

3. कैश-लेस प्रणाली को बढ़ावा | 

4. नकदी की कम आवश्यकता | 

5. ग्राहकों को बैंकिंग भुगतान में सुविधा | 

6. समय की बचत | 

7. साख-पत्रों के उपयोग से मुद्रा निर्गमन का कम करना |

 

भारत में समाशोधन-गृह :-

स्वतंत्रता से पहले भारत में समाशोधन गृह का कार्य बैंक ऑफ़ बंगाल , बैंक ऑफ़ बॉम्बे तथा बैंक ऑफ़ मद्रास के द्वारा किया जाता था | इसके बाद इन सभी बैंकों के विलय के बाद इम्पीरियल बैंक के द्वारा समाशोधन गृह का कार्य प्रारम्भ शुरू किया गया | रिज़र्व बैंक की स्थापना के बाद इम्पीरियल बैंक के साथ-साथ रिज़र्व बैंक को भी समाशोधन गृह का अधिकार प्राप्त हुआ | 1955 में S.B.I. के रूप में इम्पीरियल बैंक के परिवर्तित होने के बाद यह कार्य दोनों बैंक  सम्मिलित रूप से करनें लगे | 

निष्कर्ष :- समाशोधन गृह अलग-अलग बैंकों के मध्य लेन-देन के कराने तथा मध्यस्थता स्थापित करने का कार्य करते हैं | जिससे ग्राहकों तथा बैंको को नकदी रखने की चिन्ता नहीं रहती और धीरे-धीरे पूरी अर्थव्यवस्था कैश-लेस अर्थव्यस्थता की ओर अग्रसर हो जाती है | 

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