Credit Control By R.B.I. in Hindi
परिचय (INTRODUCTION):-साख-नियंत्रण जिसको हम Credit Control के नाम से भी जानते हैं | यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक विभिन्न प्रकार के बैंकों के द्वारा अपने ग्राहकों को दिए जा रहे ऋण के व्याज को तथा बैंको द्वारा रिज़र्व बैंक से लिए जा रहे ऋण के व्याज को नियंत्रित करता है | जिससे मौद्रिक नीति के निर्धारण के साथ-साथ मुद्रा-स्फीति को नियंत्रित करने तथा देश के आर्थिक विकास में सहायता मिलती है |
साख-नियंत्रण की विधियाँ :-
भारतीय रिज़र्व बैंक साख-नियंत्रण के लिए निम्न दो विधियों को अपनाती है |
1. परिणात्मक या मात्रात्मक साख-नियंत्रण विधि
2. गुणात्मक साख-नियंत्रण विधि
परिणात्मक साख-नियंत्रण विधि :-
इसके अंतर्गत निम्न विधियाँ हैं |
1. बैंक दर (Bank Rate) :- बैंक दर से तात्पर्य उस व्याज- दर से है, जिस दर पर रिज़र्व बैंक सभी बैंकों को ऋण देती है | वर्तमान समय में बैंक-दर 4.25% है |
2. वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) :- वैधानिक तरलता अनुपात से आशय उस अनुपात से है, जिस अनुपात पर कोई बैंक अपने कुल कोष का एक निश्चित अनुपात में सोना या फिर साख-पत्रों को रखता है | यह अनुपात भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा निर्धारित किया जाता है | वर्तमान समय में वैधानिक तरलता अनुपात 18% है |
3. नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio) :- कोष तरलता अनुपात वह अनुपातिक दर है, जिसके आधार पर कोई बैंक अपनी कुल जमा पूँजी का एक निश्चित नकद रकम भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखता है | वर्तमान समय में यह दर 3% है |
4. रेपो रेट (Policy Repo Rate) :- रेपो-रेट वह दर होता है, जिसके आधार पर व्यापारिक बैंक अपनी प्रतिभूतियों को बेच कर भारतीय रिज़र्व बैंक से धन लेते हैं | वर्तमान समय में यह दर 4% है |
5. रिवर्स रेपो रेट (Reserve Repo Rate) :- रिवर्स रेपो रेट वह दर होता है, जिसके आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक व्यापारिक बैंकों लेता है | वर्तमान समय में यह दर 3.35% है |
6. खुले बाजार की क्रियाएँ (Open Market Operation):- भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्र सरकार के साथ मिलकर देश में मौद्रिक नीतियों को बनाता है तथा लागू करता है | कई बार देश में जनता के द्वारा बैंकों से अधिक धन की मांग होती है और लोग बैंकों से अपना धन निकालने लगते हैं, जिसके फलस्वरुप बैंको के पास नकद जमा की कमी हो जाती है और जनता में क्रय शक्ति बढ़ जाती है | क्रय शक्ति बढ़ जाने के कारण लोग धन का अपव्यय अन्य वस्तुओं और सेवाओं में करने लगते है | देश में ऐसा होने से अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब हो जाती है | मुद्रा-स्फीति बढ़ जाती है तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कम हो जाती है |
उपरोक्त समस्याओं से उभरने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक बाजार में कई प्रकार की प्रतिभूतियां जारी करता है, जो जोखिम मुक्त होती हैं | चूँकि जनता का रिज़र्व बैंक और सरकार पर विश्वास होता है, अतः लोग इन प्रतिभूतियों को बैंकों से खरीदतें हैं | जिससे जनता के पास पड़ा धन पुनः बैंकों के पास चला जाता है और स्थिति पुनः सामान्य हो जाती है |
इस प्रकार रिज़र्व बैंक परिणात्मक साख-नियंत्रण विधि के द्वारा साख को नियंत्रित करने का कार्य करता है |
गुणात्मक साख-नियंत्रण विधि :-
इसके अंतर्गत निम्न विधियाँ हैं |
1. चयनात्मक साख-नियंत्रण विधि
2. तर्कसंगत- साख नियंत्रण विधि
3. नैतिक दबाव से
4. प्रचार-प्रसार से
5. प्रत्यक्ष या त्वरित निर्णय से
निष्कर्ष :- देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने में रिज़र्व बैंक अग्रणी भूमिका निभाता है | साख-नियंत्रण भी उन्ही कार्यों में से एक है, जो रिज़र्व बैंक के द्वारा मौद्रिक निति को निर्धारित करने के लिए किया जाता है |
THANK YOU.
Post a Comment
Post a Comment
Please do not enter any spam link in Comment box.