हुण्डी किसे कहते हैं ?

                              

हुण्डी का परिचय :- INTRODUCTION OF HUNDI IN HINDI

हुण्डी एक प्रकार का शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र है, जिसमें लेखक के द्वारा हुण्डी में लिखित धनराशि भुगतान करने का आदेश किसी अन्य व्यक्ति को दिया जाता है | 

अन्य शब्दों में, 

हुण्डी स्थानीय भाषा में  जाने वाला शर्तरहित लिखित आज्ञा-पत्र है, जिसमे एक व्यक्ति को यह आदेश दिया जाता है,कि वह हुण्डी में लिखे व्यक्ति को या फिर उसके द्वारा आदेशित किसी व्यक्ति को या फिर धारक को हुण्डी में लिखित निश्चित अवधि पर भुगतान कर दिया जाए |

  

हुण्डी की विशेषताएँ :-  CHARACTERSTICS OF HUNDI IN HINDI

  हुण्डी की निम्न विशेषताएँ हैं | 

1. यह स्थानीय भाषा में लिखा जाता है | 

2. यह शर्तरहित होता है | 

3. यह लिखित होता है | 

4. इसमें लेखक का हस्ताक्षर होता है | 

5. इसका भुगतान इसके धारक या फिर लेखक के द्वारा आदेशित व्यक्ति को किया जाता है | 

 

हुण्डी के प्रकार :- TYPES OF HUNDI IN HINDI

हुण्डी निम्न प्रकार के होते हैं | 

1. दर्शनी हुण्डी :- यह मांग-बिल की तरह होता है , जो भुगतान के समय माँग पर तत्काल देय होता है | 

2. मुद्दती हुण्डी :- यह साख-पत्र का भुगतान एक निश्चित समय के अंतराल पर देय होता है, इसी कारण इसे मुद्दती हुण्डी कहते हैं | 

3. शहजोग हुण्डी :- यह हुण्डी किसी विशेष प्रतिष्ठित व्यक्ति को लिखा जाता है और उसी को देय होता      है | 

4. फरमानजोग हुण्डी :-यह हुण्डी ठीक आदेश-पत्र की तरह होता है | जिसका भुगतान हुंडई पर लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशित व्यक्ति को दिया जाता है | 

5. नामजोग हुण्डी :- यह एक ऐसा हुण्डी होता है, जिसमे प्राप्त करनें वाले का नाम लिखा होता है और हुण्डी में लिखित व्यक्ति को ही इसका भुगतान किया जाता है | 

6. धनजोग हुण्डी :- इस हुण्डी की यह विशेषता है, कि यह हुण्डी जिसके कब्जे में होता है,उसी को  भुगतान प्राप्त करने का अधिकार होता है | 

7. जोखिम हुण्डी :- इस प्रकार की हुण्डी का इस्तेमाल माल का बीमा करने या रकम दिलाने के दोहरे उद्देश्य से लिखा जाता है | इस प्रकिया में माल भेजने वाला व्यापारी एक हुण्डी लिखता है, जिसे कोई और व्यापारी खरीद लेता है | यह एक प्रकार से सुरक्षित माल पहुँचाने की जोखिम का बीमा है | 

निष्कर्ष :- हुण्डी का प्रयोग स्थानीय स्तर के व्यापारी अपनी व्यापारिक आवश्यकताओं के अनुसार करते रहते हैं | यह मात्र एक ऐसा साख-पत्र है जो स्थानीय भाषा में लिखा जाता है | विनिमय-साध्य अभिलेख अधिनियम 1881 में हुण्डी के सन्दर्भ में कोई प्रावधान नहीं है | मध्यकालीन-भारत में इस साख-पत्र का प्रचलन माना  जाता है | 


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